Saturday, January 26, 2008

स्त्रियाँ

खुद शराब हैं।
मगर पीने से डरती हैं।
मोह्हबत में मर जाएँ सौ -सौ बार ।
मगर बुढ्ढ़ी होकर जीने से डरती हैं।

4 comments:

Anonymous said...

afsos hae kii tum jaiso ko paedaa bhi vohi kartee haen

Gaurav said...

Rachana Ji aapne to meri kavita ko galat arthon mein le liya. Maine sirf ek halki-fulki kavita likhne ki koshish ki thi.

Yashwant R. B. Mathur said...
This comment has been removed by the author.
Yashwant R. B. Mathur said...


कल 30/10/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!