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Tuesday, July 1, 2008
पूर्वालोकन...........
राजकमल बढाते हैं चिलम
उग्र थाम लेते हैं।
मणिकर्णिका घाट पर
रात के तीसरे पहर
भुवनेश्वर गुफ्तगू करते हैं मजाज से.
मुक्तिबोध सुलगाते हैं बीडी
एक शराबी
मांगता है उनसे माचिस.
'डासत ही गयी बीत निशा सब'
1 comment:
E-Guru Maya
said...
समझ नहीं आई, पूरी तरह ऊपर से गई.
July 1, 2008 at 8:42 PM
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1 comment:
समझ नहीं आई, पूरी तरह ऊपर से गई.
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